PM Kisan Samman Nidhi Yojana भारत सरकार की एक अहम पहल है, जिसका मकसद छोटे और सीमांत किसानों को आर्थिक मदद देना है। इस योजना के जरिए सरकार किसानों को उनकी खेती में सुधार लाने के लिए फंड देती है, ताकि वे अच्छी फसल उगा सकें और उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर हो सके। हाल ही में हुई कैबिनेट बैठक में इस योजना से जुड़ा एक बड़ा फैसला लिया गया है, जिससे पूरे देश के किसानों में खुशी की लहर है।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का परिचय
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना 1 दिसंबर 2018 को शुरू की गई थी। इस योजना के तहत सरकार हर योग्य किसान परिवार को सालाना 6,000 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करती है। यह राशि तीन किस्तों में किसानों के बैंक खातों में भेजी जाती है। इस योजना का मुख्य मकसद किसानों की आय को बढ़ाना और उनकी कृषि संबंधी जरूरतों के लिए वित्तीय सहायता देना है।

PM Kisan Samman Nidhi Yojana : कैबिनेट की बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय
हाल ही में हुई कैबिनेट की बैठक में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना से जुड़े कुछ अहम फैसले लिए गए हैं। ये फैसले किसानों के लिए फायदेमंद हैं और उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाने में सहायक होंगे। इस बैठक में चर्चा किए गए मुख्य मुद्दों को नीचे विस्तार से समझाया गया है।
- योजना के तहत राशि में वृद्धि – अब किसानों को PM-KISAN योजना के तहत मिलने वाली राशि में इजाफा किया जाएगा। पहले जहां किसानों को सालाना 6,000 रुपये मिलते थे, वहीं अब सरकार ने इसे बढ़ाकर 8,000 रुपये सालाना करने का फैसला लिया है। यह नई राशि किसानों को तीन समान किस्तों में दी जाएगी, यानी हर चार महीने में 2,000 रुपये की किस्त उनके खातों में ट्रांसफर होगी।
- पात्रता में बदलाव – सरकार ने इस योजना में पात्रता से जुड़ी कुछ अहम बदलाव किए हैं। अब योजना का लाभ उन सभी छोटे और सीमांत किसानों को मिलेगा जिनके पास 2 हज़ार से कम भूमि है। पहले यह लाभ केवल उन किसानों को मिलता था जिनके पास 5 एकड़ या उससे कम भूमि थी, लेकिन अब सरकार ने इस सीमा को घटा दिया है, जिससे और अधिक किसान इसका फायदा उठा सकेंगे।
- लाभार्थियों की संख्या में बढ़ोतरी – केंद्र सरकार ने इस योजना के तहत लाभार्थियों की संख्या बढ़ाने का फैसला लिया है। इसके चलते करीब 2 करोड़ नए किसान परिवारों को इस योजना का फायदा मिलेगा। इससे देशभर के लाखों किसान परिवारों को आर्थिक मदद मिलेगी, जो पहले इस योजना से बाहर थे।