अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी आम आदमी पार्टी (आप) की राजनीतिक रणनीतियां हमेशा चर्चा का विषय रही हैं। हाल के दिनों में, अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार, विशेष रूप से गृह मंत्री अमित शाह पर आक्रामक हमले किए हैं। सवाल उठता है कि यह हमला “आप” की स्वायत्त रणनीति है या चुनावी जीत के लिए आई-पैक की किसी सोची-समझी रणनीति का हिस्सा?
अमित शाह पर हमले की शुरुआत:
पिछले कुछ हफ्तों में केजरीवाल ने दिल्ली की कानून व्यवस्था को लेकर अमित शाह को घेरने का काम किया है।
- शालीमार बाग की घटना: एक दिल दहलाने वाली घटना का हवाला देते हुए केजरीवाल ने दिल्ली पुलिस और गृह मंत्री पर सीधा निशाना साधा।
- दिल्ली की कानून-व्यवस्था का मुद्दा: अरविंद केजरीवाल का कहना है कि अगर अमित शाह दिल्ली को नहीं संभाल पा रहे हैं, तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए।
यह पहली बार नहीं है जब केजरीवाल ने अमित शाह को सीधे निशाना बनाया है। 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान भी बीजेपी की रणनीति में अमित शाह का बड़ा योगदान था। उस समय भी “आप” ने अपने कैंपेन को बीजेपी के हमलों से बचाते हुए शांतिपूर्ण और मुद्दा-आधारित रखा था।
आई-पैक की भूमिका:
2020 के चुनावों में प्रशांत किशोर और उनकी संस्था आई-पैक ने “आप” के लिए चुनावी प्रबंधन किया था।
- हालांकि, इस बार प्रशांत किशोर खुद सक्रिय नहीं हैं, लेकिन उनकी टीम “आप” की मदद कर रही है।
- आई-पैक की रणनीति हमेशा विरोधी पर तीखे प्रहार, बूथ प्रबंधन, और सोशल मीडिया का भरपूर उपयोग करने पर आधारित होती है।
- अमित शाह के खिलाफ केजरीवाल का मौजूदा हमला कहीं न कहीं आई-पैक की रणनीति का हिस्सा हो सकता है।
केजरीवाल की मौजूदा रणनीति:
- मोदी को टारगेट करना छोड़ा:
अरविंद केजरीवाल अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधने से बच रहे हैं। यह एक सोच-समझकर बनाई गई रणनीति है, ताकि मोदी समर्थकों की नाराजगी से बचा जा सके। - शाह पर फोकस:
दिल्ली के स्तर पर बीजेपी में अमित शाह की भूमिका को ध्यान में रखते हुए केजरीवाल ने उन्हें मुख्य निशाना बनाया है। - जनता के मुद्दों पर फोकस:
दिल्ली में अपराध, पुलिस की निष्क्रियता, और प्रशासनिक विफलताओं को उठाकर “आप” दिल्ली की जनता के समर्थन को अपने पक्ष में मजबूत करना चाहती है।
क्या अमित शाह के खिलाफ फोकस जीत दिलाएगा?
दिल्ली चुनावों में बीजेपी का नेतृत्व और प्रचार अक्सर अमित शाह की आक्रामक शैली के इर्द-गिर्द होता है।
- बूथ मैनेजमेंट: अमित शाह की यह प्रमुख रणनीति है।
- “आप” का पलटवार: इस बार “आप” भी बूथ स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए आई-पैक की मदद ले रही है।
दिल्ली चुनाव 2024, “आप” के लिए केवल एक चुनाव नहीं है, बल्कि उनके राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई है। अरविंद केजरीवाल जानते हैं कि दिल्ली को खोने का मतलब होगा पार्टी की पहचान का खत्म होना।
निष्कर्ष:
केजरीवाल का अमित शाह पर लगातार हमला केवल “आप” की स्वायत्त रणनीति का हिस्सा नहीं लगता। आई-पैक की चुनावी रणनीति और अरविंद केजरीवाल की समझदारी का मिलाजुला असर यहां नजर आता है। दिल्ली की जनता तक अपनी बात पहुंचाने और अमित शाह के आक्रामक हमलों का जवाब देने के लिए “आप” ने यह रास्ता चुना है।
अगर आने वाले चुनावों में “आप” की यह रणनीति कामयाब रहती है, तो यह दिल्ली की राजनीति में एक बार फिर से अरविंद केजरीवाल की मजबूत स्थिति को साबित करेगा।