साल 2025 के बजट के आने में अब ज्यादा समय नहीं बचा है, 8th Pay Commission और देशभर के लाखों सरकारी कर्मचारियों को अपनी सैलरी में बढ़ोतरी की उम्मीदें बंधी हुई हैं। इसके साथ ही, उनके बीच यह चर्चा हो रही है कि क्या वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आगामी बजट में 8वें वेतन आयोग की घोषणा करेंगी। आइए, इस बारे में सभी अहम बातें जानें।
8वें वेतन आयोग की उम्मीदें बढ़ीं
8वां वेतन आयोग (8th Pay Commission) एक बड़ी चर्चा का विषय बन गया है, और केंद्रीय कर्मचारियों के साथ-साथ पेंशनभोगी भी इसको लेकर काफी उम्मीद लगाए हुए हैं। ट्रेड यूनियन प्रतिनिधियों ने वित्त मंत्री से मुलाकात करके अपनी मांगों को रखा है, जिसमें सबसे प्रमुख मांग 8वें वेतन आयोग का गठन है। ये आयोग करीब 50 लाख सरकारी कर्मचारियों और 67 लाख पेंशनरों को प्रभावित कर सकता है।

प्री-बजट मीटिंग में उठाया गया था मुद्दा
प्री-बजट मीटिंग के दौरान ट्रेड यूनियन प्रतिनिधियों ने सरकार से नए वेतन आयोग के गठन की गुजारिश की थी। CITU (Center of Indian Trade Unions) के राष्ट्रीय सचिव स्वदेश देव रॉय ने यह मुद्दा उठाया और कहा कि मौजूदा सातवें वेतन आयोग को बने हुए दस साल से ज्यादा हो चुके हैं, और अब समय आ चुका है कि नया आयोग बनवाया जाए। उन्होंने यह भी बताया कि सातवें वेतन आयोग का कार्यकाल दिसंबर 2025 में खत्म हो जाएगा, और इसके बाद 8वें आयोग के गठन का वक्त आएगा।
वेतन आयोग के कार्यकाल की शुरुआत कब हो सकती है
अगर हम पिछले ट्रेंड्स को देखें, तो 8वें वेतन आयोग का कार्यकाल जनवरी 2026 में शुरू हो सकता है। 4, 5, और 6वें वेतन आयोगों का भी कार्यकाल लगभग 10 साल का था, और सातवें का भी यही मॉडल माना गया था। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि 8वां आयोग 2026 में अपने काम शुरू कर सकता है।
ट्रेड यूनियनों की अन्य मांगें
आठवें वेतन आयोग के अलावा, ट्रेड यूनियनों ने कई अन्य मुद्दे भी उठाए। एक प्रमुख मांग यह है कि सरकार द्वारा कर्मचारियों और पेंशनरों को मिलने वाले न्यूनतम ईपीएफओ (EPFO) पेंशन को 5000 रुपये प्रति माह तक बढ़ाया जाए। इसके अलावा, कई यूनियनों ने अमीरों पर अधिक टैक्स लगाने, और आयकर छूट सीमा को 10 लाख रुपये तक बढ़ाने का भी सुझाव दिया है।
गिग श्रमिकों के लिए भी सामाजिक सुरक्षा की मांग
इसके अलावा, गिग श्रमिकों के लिए एक सामाजिक सुरक्षा योजना की मांग भी की गई है, ताकि उन्हें भी एक स्थिर और सुरक्षित जीवन मिल सके। साथ ही, सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना की बहाली की भी सिफारिश की गई है। ट्रेड यूनियनों का मानना है कि यह कदम सरकार को कर्मचारियों के मनोबल को ऊंचा रखने और सामाजिक सुरक्षा की दिशा में एक अहम कदम साबित होगा।